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Friday, May 15, 2009

तेरी गूंज

वो मुस्कुराए और हम शर्माए
वो पास आए और हम घबराए
वो कहते रहे और हम सुनते रहे
वो कहते रहे और हम सुनते रहे

इन सब के बीच हमने आँख क्या बंद की
.
.
.
.
वो तो चले गए और..... हम फ़िर भी सुनते रहे :(

(आज भी तेरी आवाज़ मुझे सुनाई देती है, हमारे प्यार की यादें भी गूंजती है अब तो.... वापिस आजा ना....!)

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